रोज़िज़ एंड बीटल, विन्सेंट वान गोग Roses And Beetle, Vincent Van Gogh |
अपने पौधों को पानी दो,
अपने फूलों से प्यार करो.
बाकी सब
अनजाने पेड़ों की छाया है.
यथार्थ हमेशा,
जो हम चाहते हैं,
उस से कम या
उस से अधिक ही होता है.
केवल हम ही
स्वयं के तुल्य होते हैं.
अकेले रहना अच्छा है,
और सादगी से रहना
बहुत ही अच्छा.
दुःख को देवों के चरणों में
भेंट-सा चढ़ा दो.
जीवन को दूर से देखो.
कभी सवाल मत करो.
तुम्हें बताने के लिए
उसके पास कुछ भी नहीं है.
उत्तर देवों से भी आगे है कहीं.
मगर चुपचाप अपने मन में
देवों का अनुसरण करो.
देव देव हैं
क्योंकि वे कभी नहीं सोचते
कि वे क्या हैं.
-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)
फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने रिकार्दो रेइस ( Ricardo Reis )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'ओड्ज़' से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
Nice...realization that thoughts limit and non-thought is infinite and endless and is possible with just being and in simplicity and isness.
जवाब देंहटाएंहिंदी अभी तक ऐसे नगीनों से तकरीबन अनजान ही रही है रीनू जी. वैसे कविताओं के बारे में मैं खुद को टिप्पणी के लिए उपयुक्त नहीं पाता लेकिन मैं इन्हें एक-एक कर पढ़ने से वह निर्दोष ताज़गी ज़रूर महसूस कर रहा हूं, जो फिलहाल देखने को नहीं मिलती. सचमुच अगर आपका प्रयास स्वांत:सुखाय भी है तो भी मुझे लगता है कि यह बहुजन हिताय होगा.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया. एक छोटा-सा प्रयास है...देखिये किधर ले जाता है :-)
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