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फायर पेंटिंग, ईव क्लाइन Fire painting, Yves Klein |
सन्देश जो दोस्तों ने फंसाये थे दरवाज़े में,
पारदर्शी लाल कागज़,
सरसराता है पतंगे के पंखों की तरह,
कर लेता है हवा से ब्याह.
किसी भी वर्ष का कितना कुछ होता है प्रज्वल्य,
सब्जियों की फहरिस्त, अधपकी कविताएँ.
दिनों की घुमावदार नारंगी लौ,
कितना कम है जो पत्थर है.
जब कुछ था और अचानक नहीं रहा,
एक अनुपस्थिति शोर करती है, उत्सव मनाती है,
छोड़ती है जगह.
मैं फिर से करती हूँ आरम्भ सबसे छोटी संख्या से.
त्वरित नृत्य, विफलताओं और पत्तियों के हेर-फेर,
वह सब जो मैं नहीं कर पायी, केवल वही
चिटकता है धधकती आग के बुझ जाने के बाद.
-- नाओमी शिहाब नाए

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
वह सब जो मैं नहीं कर पायी, केवल वही
जवाब देंहटाएंचिटकता है धधकती आग के बुझ जाने के बाद.
सच वही चिटकता है ....