द बॉय विद द विलो फ्लूट, क्रिस्तियाँ स्क्रेडज़विग The Boy With The Willow Flute, Christian Skredsvig |
तुम
जो पहले कभी गीत सुनाती थे मुझे
अब भी सुनाओ ना
सुनने दो मुझे
तुम्हारा वही लम्बा आरोही स्वर
जियो मेरे साथ
तारा डूब रहा है
मैं उससे आगे सोच सकता हूँ
मगर मैं भूल रहा हूँ
सुन पा रही हो मुझे
अब भी सुन पा रही हो मुझे
क्या तुम्हारी हवा
तुम्हें याद रखती है
ओ सुबह की सांस
रात का गीत सुबह का गीत
जो कुछ भी मुझे नहीं पता है
वो सब मेरे पास है
मैंने उसमे से कुछ भी नहीं खोया है
मगर अब मैं ठीक नहीं समझता
तुमसे पूछना
कि तुमने यह संगीत कहाँ से सीखा
कि वह थोडा-सा भी आया कहाँ से
कभी चीन में शेर होते थे
जब तक बांसुरी रुक ना जाए
और रोशनी पुरानी न पड़ जाए
मैं सुनता रहूँगा
-- डब्ल्यू एस मर्विन
डब्ल्यू एस मर्विन ( W S Merwin )अमरीकी कवि हैं व इन दिनों अमरीका के पोएट लॉरीअट भी हैं.उनकी कविताओं, अनुवादों व लेखों के 30 से अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं .उन्होंने दूसरी भाषाओँ से अंग्रेजी में बहुत अनुवाद किया है व अपनी कविताओं का भी स्वयं ही दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया है.अपनी कविताओं के लिए उन्हें अन्य सम्मानों सहित पुलित्ज़र प्राइज़ भी मिल चुका है.वे अधिकतर बिना विराम आदि चिन्हों के मुक्त छंद में कविता लिखते हैं.यह कविता उनके संकलन 'द शैडो ऑफ़ सिरिअस ' से है.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
शुक्रिया इस भीगी सुबह इस कविता के लिए ....
जवाब देंहटाएंbahut sundar Blog...chayan laajavab
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पारुल :-)
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