स्टारी नाईट ओवर द रोन, विन्सेंट वान गोग Starry Night Over The Rhone, Vincent Van Gogh |
रात खींच कर ले गयी उसको
प्यार के अकेलेपन में उठाये आनंद
के शिखर तक, आत्मा मुक्त,
सारी समझदारी जलती हुईएक समर्पित खोज की आग में.
आँखें एक जीवित महासागर से लबालब,
वह अपनी यात्रा की भोर तक जा पाया.
वह जानता था रात होना
और गहराईयों तक सहना.
उसकी प्रार्थना पर्वतों में
सितारों की गूढ़ नि:शब्दता को
खुली हुई थी.
उसके दिनों का बीतना
बस एक सामंजस्य था,
एक चपल ज्योति की अनंत उड़ान-सा.
उसने सागर पार किया:
जब पागल पवन पूरी तरह उन्मुक्त थी,
और किनारे एक गुंजायमान अकेलेपन
में पाए गए.
देह उसका घर थी,
और भोर जिए-गए प्यार कि नई देहरी.
दिन एक छाया था,
घड़ियाँ जैसे गेहूं की बालियों से,
रेगिस्तान में सोई चुप्पी से कढ़ी हुई:
हर पल में उसे उम्मीद थी
एक जलते-हुए जोश की,
उसे उम्मीद थी कि आग रात बन जाएगी,
वह झरना गाएगी जिसे वह सुनता है.
उसकी आँख की पुतली में अब दूरी नहीं थी.
वह जानता था रात होना
और गहराईयों तक सहना.
-- कार्लोस ओबरेगोन
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद निकोलास सुएस्कून ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
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