थिकेट्स, इवान शिशकिन Thickets, Ivan Shishkin |
शायद
इस दुनिया में
उस प्यार के सिवाय कोई प्यार नहीं है
जो हम सोचते हैं कि हम पा लेंगे, एक दिन.
मत रुको
करते रहो यह नृत्य, मेरे प्यार, मेरी कविता
चाहे वह मृत्यु ही क्यों न हो.
मैं सोचता हूँ कि मैं हूँ संगीत का स्वर
झुकते सरकंडों के बीच लहराता, उठता-गिरता
मैं पेड़ों के शामियाने तले
धूप के कमरे में घुल-मिल जाता हूँ रोशनी में
मैं छुप जाता हूँ झरनों में कभी
और कभी उतरता हूँ ढलान उन गहराईयों की
जो मुझे दिखाई नहीं देती.
आह प्यार -- एक झरना
थकान की ऊंचाइयों से तिरछा गिरता हुआ.
एक शून्य में से
जहाँ अर्थ
भटकते रहते है जंगल में
प्यार आता है, अनोखा-सा रहता है
हमारी कल्पना से कहीं चौड़ा, और ऊंचा.
क्या कोई आश्रय है इन अंगारों से ?
अली अहमद सईद अस्बार ( Ali Ahmed Said Asbar ), जो 'अदुनिस' ( Adonis )के नाम से लिखते हैं, सिरिया के प्रसिद्ध कवि व लेखक हैं. वे आधुनिक अरबी कविता के पथप्रदर्शक हैं, जिन्होंने पुरानी मान्यताओं से विद्रोह कर कविता के अपने ही नियम बनाये हैं. अब तक अरबी में उनकी 20से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनके अनेक कविता संग्रह अंग्रेजी में अनूदित किये जा चुके हैं. अभी हाल-फिलहाल में, अगस्त माह के आखिरी सप्ताह में ही उन्हें 2011 के गेटे ( Goethe) पुरुस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें जल्द ही नोबेल प्राइज़ भी मिलेगा , साहित्य जगत में इसकी उम्मीद व अटकलें खूब हैं, वे कई बार नामित भी किये गए हैं.
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद खालेद मत्तावा ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
"मत रुको
जवाब देंहटाएंकरते रहो यह नृत्य, मेरे प्यार, मेरी कविता
चाहे वह मृत्यु ही क्यों न हो."
रीनू जी क्या यहाँ आशय डांस ऑफ डेथ से है?इस पंक्ति से मुझे बर्गमैन के सेवेंथ सील का आखरी दृश्य याद हो आया.
अनुवाद आपके ब्लॉग डिस्क्रिप्शन को सार्थक करता है.
शुक्रिया कवि और कविता दोनों से मिलवाने का.अभी डूबना बाकी है..
शुक्रिया संजय जी.
जवाब देंहटाएंमेरी समझ से यहाँ जिसकी बात हो रही है उसे डांस ऑफ़ लाइफ कहा जा सकता है...प्यार हम को कितना जीवित और जीवंत रखता है...मृत्यु हमारे पैरों में अपने किरच चुभा कर लहूलुहान करती रहती है, हम नाचते रहते हैं...