ग्रीन लवर्ज़, मार्क शगाल Green Lovers, Marc Chagall |
दोनों को पक्का विश्वास है
कि प्यार ने उन्हें अचानक ही
एक दिन मिला दिया.
बहुत खूबसूरत है ऐसी निश्चितता
मगर अनिश्चितता और भी खूबसूरत है.
चूंकि इस से पहले वे कभी नहीं मिले थे,
वे आश्वस्त थे कि इस से पहले
उनके बीच कभी कुछ घटित नहीं हुआ था.
मगर सड़कें, सीढियां, गलियारे --
ये सब क्या कहते हैं?
शायद वे दोनों एक-दूसरे के पास से
लाखों बार गुज़रे हों?
मैं उनसे पूछना चाहती हूँ
कि क्या उन्हें याद पड़ता है --
किसी घूमने वाले दरवाज़े में
आमने-सामने होंने का एक पल?
शायद भीड़ की जल्दबाजी में कही गई एक " सॉरी " ?
रिसीवर में सुना हुआ एक रूखा-सा " रांग नंबर " ?
मगर मैं जानती हूँ जवाब.
नहीं, उन्हें याद नहीं.
वे सुन कर दंग रह जाएँगे
कि कितने बरस से कर रहा है
संयोग उन के साथ यह खेल.
नहीं है वह पूरी तरह तैयार अभी
बनने के लिए उनकी नियति,
वह उन्हें पास लाया, दूर ले गया,
रास्ता रोका उनका
फिर हंसी दबा कर
एक तरफ हट गया.
कितने संकेत थे, इशारे थे
चाहे वे उन्हें तब पढ़ नहीं पा रहे थे.
शायद तीन साल पहले
या बस पिछले मंगल को ही
एक पत्ता उड़ कर गया था
एक कंधे से दूसरे कंधे तक?
कुछ गिरा कर फिर उठा लिया गया था.
कौन जाने, शायद वह गेंद जो खो गयी थी
कहीं बचपन के झुरमुटों में.
दरवाज़ों के दस्ते थे और दरवाजों की घंटियाँ थी
जहाँ दूसरी के ऊपर
पहली छुअन रखी गयी थी.
कहीं सूटकेस थे साथ-साथ.
एक रात शायद कोई सपना
जो धुंधला हो गया था सुबह तक.
आखिर हर शुरुआत
केवल एक उत्तर कथा है,
और घटनाओं की किताब
हमेशा अध्-खुली रहती है.
-- वीस्वावा शिम्बोर्स्का
वीस्वावा शिम्बोर्स्का ( Wislawa Szymborska ) पोलैंड की कवयित्री, निबंधकार व अनुवादक हैं. उनकी युवावस्था लगभग संघर्ष में ही बीती -- द्वितीय विश्व-युद्ध और उसके पोलैंड पर दुष्प्रभाव, कम पैसे होने की वजह से पढाई छोड़ देना, छुट-पुट नौकरियां, पोलैंड में साम्यवाद का लम्बा दौर. इस सब के बावजूद उनकी साहित्यिक व कलात्मक गतिविधियाँ जारी रही. उन्होंने अख़बारों व पत्रिकाओं में मूलतः साहित्य के विषय पर खूब लिखा. उन्होंने बहुत प्रचुरता में नहीं लिखा. उनकी केवल २५० कविताएँ प्रकाशित हुईं. लेकिन उनका काम इतना सराहनीय था की पूरे विश्व में पहचानी जाने लगी. 1996 में उन्हें नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी कविताओं व निबंधों का अनेक भाषाओँ में अनुवाद किया गया है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्तानिस्वाव बरंजाक व क्लेर कावानाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
वीस्वावा शिम्बोर्स्का ( Wislawa Szymborska ) पोलैंड की कवयित्री, निबंधकार व अनुवादक हैं. उनकी युवावस्था लगभग संघर्ष में ही बीती -- द्वितीय विश्व-युद्ध और उसके पोलैंड पर दुष्प्रभाव, कम पैसे होने की वजह से पढाई छोड़ देना, छुट-पुट नौकरियां, पोलैंड में साम्यवाद का लम्बा दौर. इस सब के बावजूद उनकी साहित्यिक व कलात्मक गतिविधियाँ जारी रही. उन्होंने अख़बारों व पत्रिकाओं में मूलतः साहित्य के विषय पर खूब लिखा. उन्होंने बहुत प्रचुरता में नहीं लिखा. उनकी केवल २५० कविताएँ प्रकाशित हुईं. लेकिन उनका काम इतना सराहनीय था की पूरे विश्व में पहचानी जाने लगी. 1996 में उन्हें नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी कविताओं व निबंधों का अनेक भाषाओँ में अनुवाद किया गया है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्तानिस्वाव बरंजाक व क्लेर कावानाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें