द फिलोसोफर.साइलेंस, निकोलाई ररीह The Philosopher. Silence, Nicholas Roerich |
जब मैं करती हूँ उच्चारण 'भविष्य' शब्द का
पहला अक्षर पहले ही हो चुका होता है भूत.
जब मैं बोलती हूँ 'मौन' का शब्द,
मैं उसे तोड़ देती हूँ.
जब मैं कहती हूँ 'कुछ नहीं',
मैं बना देती हूँ कुछ
जिसे नहीं पकड़ सकता वह
जो जीव नहीं.
-- वीस्वावा शिम्बोर्स्का
वीस्वावा शिम्बोर्स्का ( Wislawa Szymborska ) पोलैंड की कवयित्री, निबंधकार व अनुवादक हैं. उनकी युवावस्था लगभग संघर्ष में ही बीती -- द्वितीय विश्व-युद्ध और उसके पोलैंड पर दुष्प्रभाव, कम पैसे होने की वजह से पढाई छोड़ देना, छुट-पुट नौकरियां, पोलैंड में साम्यवाद का लम्बा दौर. इस सब के बावजूद उनकी साहित्यिक व कलात्मक गतिविधियाँ जारी रही. उन्होंने अख़बारों व पत्रिकाओं में मूलतः साहित्य के विषय पर खूब लिखा. उन्होंने बहुत प्रचुरता में नहीं लिखा. उनकी केवल २५० कविताएँ प्रकाशित हुईं. लेकिन उनका काम इतना सराहनीय था की पूरे विश्व में पहचानी जाने लगी. 1996 में उन्हें नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी कविताओं व निबंधों का अनेक भाषाओँ में अनुवाद किया गया है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्तानिस्वाव बरंजाक व क्लेर कावानाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
वीस्वावा शिम्बोर्स्का ( Wislawa Szymborska ) पोलैंड की कवयित्री, निबंधकार व अनुवादक हैं. उनकी युवावस्था लगभग संघर्ष में ही बीती -- द्वितीय विश्व-युद्ध और उसके पोलैंड पर दुष्प्रभाव, कम पैसे होने की वजह से पढाई छोड़ देना, छुट-पुट नौकरियां, पोलैंड में साम्यवाद का लम्बा दौर. इस सब के बावजूद उनकी साहित्यिक व कलात्मक गतिविधियाँ जारी रही. उन्होंने अख़बारों व पत्रिकाओं में मूलतः साहित्य के विषय पर खूब लिखा. उन्होंने बहुत प्रचुरता में नहीं लिखा. उनकी केवल २५० कविताएँ प्रकाशित हुईं. लेकिन उनका काम इतना सराहनीय था की पूरे विश्व में पहचानी जाने लगी. 1996 में उन्हें नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी कविताओं व निबंधों का अनेक भाषाओँ में अनुवाद किया गया है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्तानिस्वाव बरंजाक व क्लेर कावानाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
बहुत अच्छा चयन और अनुवाद ! कविता तो उत्कृष्ट है ही !बधाई !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया :-)
हटाएंउम्दा!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया :-)
हटाएंकल एक बहुत पुरानी फिल्म देखी - अनुभव. एक किरदार कहता है "मुझे पता है कि बीता हुआ कल हमारे आज के बीच आकर क्यों खड़ा हो जाता है - कल इसलिए आ जाता है आज के बीच क्योंकि हम अपने आज को पूरी तरह से नहीं जीते."
जवाब देंहटाएंगुज़रे हुए को 'आज' में ही तो भूत कहते हैं. और 'आज' ही में जो गुजरने वाला है, उसे भविष्य. इस भूत और भविष्य के बीच में जो आज है, वह कहाँ है?
बहुत खूब रीनू. बांटने के लिए धन्यवाद
शुक्रिया :-) 'आज' शायद इसी पल में है, भावना...और इस में पल में कुछ बीता हुआ आ जाता है तो वो भी आज ही है...मगर अगर हम सब बहने दें, तभी...बहने देना आसान नहीं...
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