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| वट अ फ्रीडम, इल्या रेपिन What a Freedom, Ilya Repin |
आती है भाषा के पास
और एकदम जान जाती है
कमी और दूरी और विश्वास
फिर कुछ समय के लिए वह नहीं दौड़ेगी
माप से अपरिचित उजाले की तरह
अपनी पुरानी अबद्धता के साथ
मगर कान लगा कर सुनेगी कि कैसे
एक कहानी बन जाती है एक और
और कोशिश करेगी बताने की
कि वे सब कहाँ से उभर कर आई हैं
और आखिर जा किधर को रही हैं
मानो वे उस की अपनी कथाएं हैं
और वह भागती है शब्दों से आगे
और फिर उनके पार
नग्न
और प्रश्नों के कोलाहल में से
कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखती
-- डब्ल्यू एस मर्विन
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शब्दों से आगे भागता अनुवाद ..
जवाब देंहटाएं.........कही पढ़ा था -----" हुस्न खुद बेताब है जलवा दिखने के लिए "!
जवाब देंहटाएंएक बेचैन आत्मा शब्दों में उतरने को व्याकुल है और सही नाप के शब्दों की तलाश में भटकती रहती है ,भाषा के इर्द-गिर्द ! शब्द भी उसकी ओर लपकते हैं और अपनी नाप भर पा भी जाते हैं लेकिन वह बहुत कम होता है !
बहुत सुन्दर कविता और उसका अनुवाद .........रीनू जी को बधाई !
Shukriya, Aparna, Misir ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
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