पाइन ट्रीज़, काप द'ओंतीब, क्लौद मोने Pine Trees, Cap d'Antibes, Claude Monet |
मेरे विचारों को, ओ पेड़ों,
इस तरह झुक कर उस सड़क पर जहाँ
मैं चल रहा हूँ इस गर्मियों के आखिर की शाम
जब तुम में से हर एक है एक खड़ी ढाल की सीढ़ी
जिससे रात नीचे उतर रही है.
पत्ते है मेरी माँ के होंठों जैसे,
हमेशा कांपते हुए, निर्णय करने में असमर्थ,
क्योंकि आज ज़रा हवा चल रही है,
और यह है कुछ आवाजें सुनने जैसा
या है दबी हुई हंसी से भरे हुए मुंह जैसा
जिसमे हम सब समा सकें एक बड़ा अँधेरा मुंह
अचानक एक हथेली से ढका हुआ.
सब शांत है. किसी और शाम
की रोशनी आगे टहल रही है,
बहुत समय पहले की शाम लम्बी ड्रेसों वाली,
नुकीले जूतों वाली, चांदी के सिगरेट-केस वाली.
आनंदित मन, तुम गहराते सायों में
जल्दी-जल्दी उन का पीछा करते हुए
कितने बोझिल कदम उठाते हो.
ऊपर आकाश अभी भी नीला है
रात के पंछी उन बच्चों की तरह हैं
जो भोजन के लिए नहीं आयेंगे.
स्वयं को गीत सुनाते खोये हुए बच्चे.
-- चार्लज़ सिमिक
चार्लज़ सिमिक (Charles Simic ) एक सर्बियाई-अमरीकी कवि, निबंधकार, अनुवादक व दार्शनिक हैं। उनका जन्म युगोस्लाविया में हुआ और वे युद्ध-त्रस्त यूरोप में बड़े हुए। 1954 में,16 वर्ष की आयु में वे अपने परिवार के साथ अमरीका आ गए। 70 के दशक तक वे कवि के रूप में स्थापित हो गए। उनकी कविताएँ सूक्ष्म व बिम्बों से भरपूर होती हैं। वे पेरिस रिव्यू के सम्पादक रह चुके हैं व अमरीका के 15 वें पोएट लौरियेट भी। आजकल वे अमरीकी साहित्य व क्रिएटिव राइटिंग के प्रोफ़ेसर एमेरिटस हैं, व यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यू हेम्पशियर में पढ़ाते हैं। उन्हें अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताओं के 30 से अधिक संकलन, अनुवादों के 15 संकलन व गद्य के 8 संकलन प्रकाशित हो चुके है।
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
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