फर, इवान शिशकिन Fir, Ivan Shishkin |
बिना हिले, जंगल में चींटी ताकती है
शून्य में. और गहरी हरियाली की
टिक-टिक के सिवाय कुछ भी सुनाई
नहीं देता, रात भर गर्मी की गहरी खाई
में गहरे कहीं से आती है मंद-सी ध्वनि.
देवदार का पेड़ एक बिंदु पर है, घड़ी की नुकीली
सुई की तरह. पर्वत की छाया में चींटी प्रदीप्त है.
एक पंछी करता है कर्कश कलरव. अंततः
बादलों का रथ धीरे-धीरे आगे लुढ़कने लगता है.
-- तोमास त्रांसत्रोमर
तोमास त्रांसत्रोमर ( Tomas Tranströmer )स्वीडन के लेखक, कवि व अनुवादक हैं जिनकी कविताएँ न केवल स्वीडन में, बल्कि दुनिया भर में सराही गयीं हैं. उन्हें 2011 का नोबेल पुरुस्कार प्राप्त हुआ है. उन्होंने 13 वर्ष की आयु से ही लिखना शुरू कर दिया था. उनके 12 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं व उनकी कविताएँ लगभग 50 भाषाओँ में अनूदित की गईं हैं. उन्हें अपने लेखन के लिए अनेक सम्मान प्राप्त हुए है जिनमे इंटरनैशनल पोएट्री फोरम का स्वीडिश अवार्ड भी शामिल है. वे नोबेल प्राइज़ के लिए कई वर्षों से नामित किये जा रहे थे. लेखन के इलावा वे जाने-माने मनोवैज्ञानिक भी थे, जो कार्य उन्हें स्ट्रोक होने के बाद छोड़ना पड़ा. उनका एक हाथ अभी भी नहीं चलता है, मगर दूसरे हाथ से वे अब भी लिखते हैं. यह कविता उनके संकलन ' द सैड गोंडोला' से है.
इस कविता का मूल स्वीडिश से अंग्रेजी में अनुवाद उनके कवि रोबेर्ट फुल्टन ने किया है.
इस कविता का मूल स्वीडिश से अंग्रेजी में अनुवाद उनके कवि रोबेर्ट फुल्टन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
adbhut kavita hai.
जवाब देंहटाएंएक अंतर्दृष्टि से स्तब्ध मानस-पटल पर देखा विजन शब्दों मे आकार ग्रहण करता हुआ ! ऐसे मनो-बिंबों से अर्थ दुहना सदा कठिन होता है ! हाँ ऐसी कवितायें आपको मन मे गहरे उतार देती हैं और शायद यही इनका अर्थ है ! आभार इस प्रस्तुति के लिए !
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