बॉय विद अ डॉग, पाब्लो पिकासो Boy With a Dog, Pablo Picasso |
ऐसा बस हो गया. जानते हो न कैसे कुत्ते किसी बाड़ी में
बस पहुँच जाते हैं, दुम हिलाते हैं मगर कुछ समझा नहीं पाते.
अच्छा है अगर तुम अपने जीवन को स्वीकार कर सको -- तुम देखोगे
की तुम्हारा चेहरा कुछ विकृत विक्षिप्त-सा हो गया है उस से ताल-मेल
बिठाते-बिठाते. तुम्हारे चेहरे ने सोचा था की तुम्हारा जीवन वैसा ही लगेगा
जैसा दिखाता था तुम्हारे शयनकक्ष का आईना जब तुम दस बरस के थे.
वह एक निर्मल नदी थी बस पहाड़ी हवा की छुई हुई.
तुम्हारे माता-पिता को भी विश्वास नहीं होता की तुम कितना बदल गए हो.
जाड़ों में गौरैया, अगर तुमने कभी पकड़ी हो, केवल पंख-ही-पंख होती है,
और तुम्हारे हाथ से एक उत्तेजित आनंद की तरह छूटती है.
बाद में तुम उन्हें देखते हो झाड़ियों में. अध्यापक तुम्हारी प्रशंसा करते हैं,
मगर अब तुम्हारा जाड़ों की गौरैया के पास लौटना संभव नहीं है.
तुम्हारा जीवन एक कुत्ता है. वह मीलों से भूखा है.
तुम्हें ख़ास पसंद नहीं करता, मगर हार मानकर, अन्दर आ जाता है.
-- रोबर्ट ब्लाए
रोबर्ट ब्लाए ( Robert Bly ) अमरीकी कवि,लेखक व अनुवादक हैं. 36 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ, मगर उस से पहले साहित्य पढ़ते समय उन्हें फुलब्राईट स्कॉलरशिप मिला और वे नोर्वे जाकर वहां के कवियों की कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी में करने लगे. वहीं पर वे दूसरी भाषाओँ के अच्छे कवियों से दो-चार हुए - नेरुदा, अंतोनियो मचादो, रूमी, हाफिज़, कबीर, मीराबाई इत्यादि. अमरीका में लोग इन कवियों को नहीं जानते थे. उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हुए और उन्होंने खूब अनुवाद भी किया है. अमरीका के वे लोकप्रिय कवि हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा में उनके लिखे 80,000 पन्नों की आर्काइव है, जो उनका लगभग पचास वर्षों का काम है. यह कविता उनके संकलन 'ईटिंग द हनी ऑफ़ वर्डज़ ' से है.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
अस्वाभाविक,असंगत जीवन जीते-जीते मनुष्य कितना विकृत हो जाता है की अपना चेहरा ही उसे डराने लगता है ! वह चाह कर भी अपने वर्तमान को स्वीकार नहीं कर पाता ! जीवन की विसंगतियों को बेबकीयत से उधेड़ती कविता ! अनुवाद और प्रस्तुतीकरण के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंअद्भुत कविता रीनू.जीवन भूखा भटकता कुत्ता है.यह बात सच है बचपन की मासूमियत और गौरैया पकड़ने का उत्तेजित आनंद बड़े होने पर संभव नहीं क्योंकि हम उड़ना भूलकर एकरसता में जीना सीख जाते हैं.
जवाब देंहटाएंReenu ka anuwad jivant hota hai.. keval shabdon ko hubahu likhne ki prkriya yahan nahi rahti. we bhav bhi bachaye rakhti hain. Prashant Sh shukriya is anuwad ko sajha karne ke liye..unki dono bhashaon par achchhi pakad hai.
हटाएंमार्मिक . कौन नहीं कहेगा यह मेरी ही कविता है .
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