मैलर्डज़ एंड मून, ओहारा कोसोन Mallards and Moon, Ohara Koson |
तुम्हें नहीं है आवश्यकता प्रायश्चित करने के लिए
रेगिस्तान में घुटनों के बल सौ मील चलने की.
तुम्हें केवल करने देना है प्रेम अपनी देह के नर्म
जीव को, उस से जिसे वह प्रेम करता है.
मुझे बताओ अपनी निराशा के बारे में
और मैं तुम्हें अपनी के बारे में बताउंगी.
इस बीच दुनिया आगे बढ़ रही है.
इस बीच सूर्य और बारिश के पारदर्शी पत्थर
चलते जा रहे हैं भूदृश्यों के पार,
घास के मैदानों और गहरे पेड़ों के ऊपर से,
पर्वतों और नदियों पर से.
इस बीच, बहुत ऊपर स्वच्छ नीली हवा में,
जंगली बतखें फिर देश लौट रही हैं.
जो भी तुम हो, चाहे कितने भी अकेले,
स्वयं को भेंट करता है यह संसार
तुम्हारी कल्पना को,
इन जंगली बतखों की तरह बुलाता है तुम्हें,
एक कर्कश और उत्तेजित स्वर में,
बार-बार, बताता है तुम्हें तुम्हारा स्थान
इन सब चीज़ों के परिवार में.
-- मेरी ओलिवर
मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है. यह कविता उनके संकलन 'ड्रीम वर्क' से है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
किन्हीं नैतिक आग्रहों से परे अपनी सहजता में स्थिर रहने और चीजों को भी उसी रूप में लेने का सुझाव देती सुन्दर कविता ! बढ़िया अनुवाद !
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