टेबल विद नेब्युले, यूज्नी ब्रैंडज़ Table with Nebulae, Eugene Brands |
याद है जब तुम इस मेज़ पर बैठ रोज़ एक
कविता लिखा करते थे? अब कैसे सुराखों से
भरी है...दीमक के, गोलियों के बनाए सुराख.
रात को हवा इसे बांसुरी की तरह बजाती है.
कभी-कभी, भोर से ज़रा पहले, यूरेनिया* उतर
आती है. वह रखती है इसी मेज़ पर अपने सफ़ेद
दस्ताने, सफ़ेद बटुआ, अपने नक्षत्र-जड़े कंगन,
और लेट जाती है तुम्हारी बगल में जब तुम नींद
में होते हो. या कर रहे होते हो सोने का नाटक.
-- ज्यानिस रीत्ज़ोज़
ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे.
इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड हारसेन्ट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
*यूरेनिया (Urania) -- ग्रीक मिथक-कथाओं में यूरेनिया यूरेनस की पौत्री एवं जियस की पुत्री थीं व खगोल विद्या की वाग्देवी समझी जाती थीं
Like :))
जवाब देंहटाएंअब वहां दीमकों का संगीत है और यूरेनिया खुद कवि से मिलने आ जाती है.
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