बुधवार, नवंबर 23, 2011

याद करना

ब्राइड विद अ फैन, मार्क शगाल
Bride With A Fan, Marc Chagall

और तुम इंतज़ार करते हो. इंतज़ार करते हो
उस एक चीज़ का जो तुम्हारा जीवन बदल डालेगी,
जो अभी है उस से कर देगी और अधिक  --
कुछ अद्भुत, असाधारण,
पत्थरों का जाग जाना, 
गहराईयों का खुलना तुम्हारे लिए.

अँधेरी-सी किताबों की दुकानों में 
पुरानी किताबों की सुनहरी-भूरी जिल्दें
हलके-से चमचमाती हैं.
तुम सोचते हो उन देशों के बारे में 
जहाँ की यात्राएं तुम ने की है,
चित्रों के बारे में और उस ड्रेस के बारे में 
जो एक बार पहनी थी उस औरत ने 
जो दोबारा तुम्हें कभी नहीं मिल पायी.

और सहसा तुम जान जाते हो : उतना काफी था.
तुम उठ जाते हो और सामने प्रकट होता है,
सभी लालसाओं और हिचकिचाहटों के साथ
तुम्हारे जिए हुए जीवन का आकार.


 -- रायनर मरीया रिल्के 



 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'बुक ऑफ़ इमेजिज़ ' से है.
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

सोमवार, नवंबर 21, 2011

रोशनी का आना



वुमन बाए अ लैम्प, पॉल सीन्याक
Woman By A Lamp, Paul Signac

इतनी देर से भी ऐसा होता है :
प्यार का आना, रोशनी का आना.
तुम जाग जाते हो 
और जैसे दिये अपनेआप ही जल जाते हैं,
तारे इकट्ठे हो जाते हैं, 
सपने उड़ेल देते हैं अपनेआप को तुम्हारे तकियों में,
ऊपर की ओर छोड़ते हैं गुनगुनी हवा के गुलदस्ते.
इतनी देर से भी 
देह की अस्थियाँ चमकने लगती हैं 
और साँसें धधक उठती हैं
कल की होनेवाली मिट्टी में. 


--  मार्क स्ट्रैन्ड






 मार्क स्ट्रैन्ड ( Mark Strand )एक अमरीकी कवि, लेखक व अनुवादक हैं. 1990 में वे अमरीका के 'पोएट लौरेएट ' थे. वे कई जाने-माने विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ा चुके हैं और आजकल  कोलम्बिया  युनिवेर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं. उन्हें 'पुलित्ज़र प्राइज़ ' सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं. अब तक उनकी कविताओं, लेखों व अनुवादों के 30 से भी अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

शनिवार, नवंबर 19, 2011

कुछ हमेशा खोया ही रहता है

सेल्फ पोर्ट्रेट, मार्क शगाल
Self Portrait, Marc Chagall

ठण्ड के मारे खोपड़ी झनझना रही है.
कोई बेधड़क होकर मुंह नहीं खोलता.
तुम्हारे जूते की ऐड़ी की तरह 
समय मुझे घिस देता है.

जीवन पा लेता है विजय जीवन पर.
आवाज़ मंद होती जाती है.
कुछ हमेशा खोया ही रहता है.
उसे याद करने की फुर्सत बिलकुल नहीं है.

तुम जानते हो, पहले सब बेहतर था.
लेकिन कोई तुलना नहीं की जा सकती 
कि पहले खून कैसे फुसफुसाता था 
और अब कैसे फुसफुसाता है.

साफ़ है कि कोई तो प्रयोजन है
जो हिला रहा है इन होंठों को.
पेड़ की फुनगी खिलखिलाती है 
और खेल जाती है
कुल्हाड़ियों के दिन से.


-- ओसिप मंदेलश्ताम 



Osip Mandelstam ओसिप मंदेलश्ताम  ( Osip Mandelstam )रूसी कवि व निबंधकार थे और विश्व साहित्य में भी उनकी गीतात्मक कविताओं का विशिष्ट स्थान है. वे यहूदी थे और उनका परिवार पोलिश मूल का था, मगर वे सेंट पीटर्सबर्ग में बड़े हुए. स्कूल के समय से ही वे कविता लिखने लगे थे. उन्होंने अपने समकालीन रूसी कवियों के साथ मिल कर 'एक्मेइज़म'  ( Acmeism ) की स्थापना की. 22 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ -- द स्टोन. जब उनकी कविताओं में रूसी क्रांति के दिग्भ्रमित होने का दुःख छलकने लगा, तो स्तालिन ने उन्हें निर्वासित कर दिया. उनके अनेक कविता व निबंध संग्रह प्रकाशित हुए व उनकी कविताओं का खूब अनुवाद भी किया गया है.
इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद क्लेरन्स ब्राउन व डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

गुरुवार, नवंबर 17, 2011

इतना कम

लिवाइअथन (जॉब 40 :21) , सेल्वाडोर डाली
Leviathan (Job 40:21), Salvador Dali

मैंने इतना कम कहा.
दिन छोटे थे.

छोटे दिन.
छोटी रातें.
छोटे साल.

मैंने इतना कम कहा.
मैं पिछड़ गया.

थक-हार गया मेरा मन 
आनंद से,
निराशा से,
उत्साह से, 
आशा से.

जकड़ रहे थे मुझे 
भीमकाय लिवाइअथन के जबड़े.

नग्न लेटा था मैं
निर्जन टापुओं के तट पे.

घसीट ले गई मुझे
दुनिया की यह सफ़ेद व्हेल मछली
अपने गहरी खाई में.

और अब मैं नहीं जानता
कि यथार्थ क्या था उस सब में.



-- चेस्वाफ़ मीवोश 



चेस्वाफ़ मीवोश (Czeslaw Milosz) पोलैंड के प्रसिद्द कवि, लेखक व अनुवादक थे. उनका जन्म लिथुएनिया में हुआ था और वे पांच भाषाएँ जानते थे -- पोलिश, लिथुएनिअन,रशियन, अंग्रेजी व फ्रेंच. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात,1951 में उन्होंने पोलैंड छोड़ फ्रांस में आश्रय लिया, और 1970 में अमरीका चले गए. वहां वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया में पोलिश साहित्य के प्रोफ़ेसर रहे. उनके 40 से भी अधिक कविताओं व लेखों के संकलन प्रकाशित हुए हैं व कई भाषाओँ में अनूदित किये गए हैं. अन्य कई सम्मानों सहित उन्हें 1980 में नोबेल प्राइज़ भी मिल चुका है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद चेस्वाफ़ मीवोश और लिलियन वाली ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़