कैट्स, फ्रैंज मार्क Cats, Franz Mark |
ऊँची भी नहीं, वास्तव में,
वे कम थीं,
नीची, ज़मीन के पास-पास,
मैं सहला सकती थी उनको
जैसे कोई सहलाता है उस बिल्ली को
जो तुम्हारी न होने पर भी
पैरों से लिपटने लगती है.
हाँ, मुझे अकेला लगता है उनके बिना.
अब जब मैं जानती हूँ यह सत्य
कि वह मेरा स्वप्न ही था कि कोई मुझे पसंद करता है,
घर की दीवार की ओट में पत्तों के बिछौने पर
बिल्ली स्वयं से लिपट कर सो गई है और मुझे अभी भी
वह सब करना है जो पहले करना था...
भीतर की छिपी-छिपी गुनगुनाहट
के बिना.
-- नाओमी शिहाब नाए
नाओमी शिहाब नाए ( Naomi Shihab Nye )एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है. यह कविता उनके संकलन "वर्डज़ अंडर द वर्डज़" से है.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
वाह..उम्मीदों की मुलायम बिल्लियाँ ...अच्छी अविता ,सुन्दर अनुवाद ,बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया......
जवाब देंहटाएंअनु
Beautifully insightful.
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