रविवार, फ़रवरी 24, 2013

सुबह

यंग वुमन बाय द विंडो,
ओंरी मातीस
Young Woman by the Window,
Henri Matisse
उसने खिड़की के किवाड़ खोले. 
चौखट से चादरें लटकायी.
दिन पर उसकी नज़र पड़ी.
एक पंछी ने ठीक उसकी आँखों में झाँका.
"मैं अकेली हूँ," वह धीरे-से बोली.
"मैं जीवित हूँ."
वह कमरे में लौटी.
आईना भी तो एक खिड़की है.
अगर मैं वहाँ से कूदूँ तो मैं अपनी ही बाहों में गिरूंगी.



-- ज्यानिस रीत्ज़ोज़  




 ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे.


इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद एडमंड कीली ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

1 टिप्पणी: