द प्रोमेनाद, मार्क शगाल The Promenade, Marc Chagall |
क्या समय नहीं हुआ है
स्वयं को प्रियतम से मुक्त करने का
जब कि, कांपते हुए, हम भोग रहे हैं प्रेम को?
जैसे तीर सहता है प्रत्यंचा का तनाव
ताकि, छोड़े जाने पर, वह दूर तक जा सके.
क्योंकि ठहरने की कोई जगह नहीं है.
-- रायनर मरीया रिल्के
रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह अंश उनकी "दुईनो एलेजीज़ " से है।
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
Saanse foonk deti ho anuwaad mien !
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंapratim.. prem ki khoobsurat abhivyakti.
हटाएंअप्रतिम.. सुंदर रचना
हटाएंअभी नही हुआ है समय स्वयं को प्रियतम से मुक्त करने का क्योंकि अभी प्रत्यंचा और खींची जा सकती है ! ............... झूठे सम्बन्धों के तनाव पर एक प्रभावशाली कविता !
जवाब देंहटाएंbahut achhi kavita.. shukriya reenu
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